आज आम के एक खास किस्म के बारे में जानते है | इस बेहद खास आम को नूरजहां आम के नाम से जाना जाता है। इस आम के अनोखे स्वाद और आकार के कारण इसे आमों की मलिका या रानी भी कहा जाता है। इस आम का नाम मुगल रानी 'नूरजहां' के नाम पर रखा गया है।
सरकारी संरक्षण पर है नूरजहां आम
देश में इस आम की किस्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा में बस पाया जाता है। चूंकि यह किस्म धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रही है, इसलिए इसे सरकार खास संरक्षण देकर बचा रही है। आम के इस किस्म की खेती अफगानिस्तान में हुई थी। इस पेड़ को पहले गुजरात में लगाया गया था जिसके बाद इस आम के एक पेड़ को मध्यप्रदेश में लगाया गया था। इस आम के पेड़ में जनवरी और फरवरी महीने में फूल लग जाते हैं और जून तक बाजार में बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं।
मात्र आठ पेड़ ही बचे हैं
इस पेड़ की खास बात यह है कि यह मध्य प्रदेशके वातावरण में ही अच्छे से फलता-फुलता और बढ़ता है, इसलिए बहुत कोशिशों के बाद भी इसे दूसरी जगहों पर नहीं लगाया जा सका है। नूरजहां आम इतना खास है कि इसे साल 1999 और 2010 में नेशनल अवॉर्ड और किंग ऑफ मेंगों अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
नूरजहां आम अपने स्वाद और मिठास से कई ज्यादा अपने आकार और वजन के लिए प्रसिद्ध है। जहां दूसरे आम के किस्मआधा से एक किलो तक होते हैं, वहां नूरजहां के एक फल का वजन साढ़े तीन से चार किलो तक होती है। इसके वजन को लेकर किसानों का कहना है कि कट्ठीवाड़ा के खास वातावरण के कारण है।
खास होने के कारण इस आम की कीमत भी खास है। आम लोगों के बजट के बाहर इस आम के एक फल की औसतन कीमत 1000 से 1200 रुपये तक हो सकती है। गुजरातसे सटे कट्ठीवाड़ा के क्षेत्र में मिलने वाले इस आम की डिमांड देश विदेश कई लोग करते हैं। यह आम जून 15 के बाद पकना शुरू होता है और पकने के बाद यह जल्दी खराब हो जाता है। इसलिए इसका उपयोग जल्दी करना पड़ता है।