जौनपुर में एक ऐसा मंदिर है जहाँ मनोकामना पूरी होने पर लोग बाबा को लंगोट चढ़ाते हैं। इन्हें लोग लंगोट वाले बाबा कहते हैं।
जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर केराकत तहसील के औरा कुसैला गांव के पास स्थित है लंगोट वाले बाबा का ये मंदिर। आप जौनपुर- गाजीपुर सड़क की पुलिया पर पहुंचेंगे तो दोनों तरफ पेड़ों पर लाल-लाल लंगोट लटकते दिखेंगे। यहां एक बाबा हुआ करते थे जिनका नाम टाई वीर था। इन्हीं के नाम पर इस पुलिया का नाम टाई वीर रखा गया। इस पुलिया के पास गांव के एक पहलवान रोजाना कसरत किया करते थे और टाई बाबा की पूजा करते थे।
ऐसा कहा जाता है कि टाई वीर बाबा और पहलवान बाबा की मौत के बाद गांव के एक युवक को सपना आया कि इस पुलिया के पास बाबा का मंदिर बनाने और लंगोट चढ़ाने से उसकी मनोकामना पूरी होगी । फिर क्या था, उस युवक ने यहां मंदिर का निर्माण कराया और तब से शुरू हो गया बाबा के दरबार मे लंगोट चढ़ाने का सिलसिला। धीरे-धीरे ये बात प्रचलित हो गई कि जो भी बाबा के दरबार मे अपनी मन्नत लेकर आस्था के साथ सिर झुकाता है उसकी मनोकामना बाबा जरूर पूरी करते हैं। चूंकि बाबा पहलवान थे और पहलवान लोग लंगोट पहनते हैं इस लिए बाबा को लंगोट चढ़ाया जाता है। बाबा के भक्तों की संख्या इतने बढ़ गई कि हर साल यहां विशाल भंडारा होने लगा। यहां आने वाले लोग भी बताते है कि बाबा में इतनी शक्ति है कि सबकी मनोकामना पूरी होती है जिसके बाद लोग लंगोट चढ़ाते है। मनोकामना पूरी होने पर लंगोट चढ़ाने की बात जरूर अजीबो गरीब है, लेकिन वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का विश्वास इसे सच बनाता है। लोगों की अटूट आस्था ही है जो अपनी मनोकामना पूरी होने पर बाबा को लंगोट चढ़ाते हैं।